परिचय
परम कारूणिक आचार्य प्रणवानन्द जो सात संस्थाओं के संस्थापक संचालक एवं संरक्षक हैं। जिनके सदय-हृदय में सदा विश्वबन्धुत्व की मधुरिमामयी उत्ताल तरंगें हिलोरे लेती रहती हैं, जिन्होने अपनाया अपने जीवन में वैदिक सन्देश ‘‘यत्र विश्वं भवत्येकनीडम्’’ अर्थात् जहॉ समस्त भूमण्डल एक निवास स्थान (घौंसले) के रूप में परिवर्तित हो जाता है। उनके इन्हीं उदात्तविचारों की परिणति है ‘‘आचार्य प्रणवानन्द विश्वनीड-न्यास’’।
यह न्यास एवं इस न्यास के सभी न्यासी प्रेरणापुंजतपःपूत आचार्य प्रवर से पूनीत प्रेरणा प्राप्त करके आज समरसता से परिपूर्ण सकल संसार में सौहार्द उत्पन्न कर समस्त विश्व को युद्धों की विभीषिका से मुक्त कराना चाहते हैं। और चाहते हैं एक समुन्नत, समृद्ध, स्वस्थ, सुशान्त सशक्त, सुशील, सच्चरित सभ्य संसार, जो सम्पूर्ण सौमनस्य के साथ नवसृजनशील, सततश्रम से सम्पन्न समाज का नवनिर्माण कर सकें, तो आईये इस न्यास के साथ जुडकर सृजन के इन क्षणों को ऐतिहासिक बना दें, और दिखला दें अखिल विश्व को कि ‘‘सशक्त भूमण्डली करण क्या होता है? और बना दें एक महती मानवशृंखला जो विश्व को दिग् दिगन्त तक जोड़कर विश्वबन्धुत्व का एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत कर सके विश्व के आपदा ग्रस्त बन्धुओं की ओर हम अपना हाथ बढाना चाहते हैं। हम बॉटना चाहते हैं, उनका दर्द। मिटाना चाहते हैं, विश्व में प्रसृत कुरीतियों कुप्रथाओं और भयानक व्याधियों को, क्या आप भी हमारे साथ खड़ हैं? साथी हाथ बढाना.............।
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